पाताल का अद्भूत रहस्य|पाताल क्या है?|पृथ्वी के नीचे के सात लोक कौन से हैं? patal lok

 ब्रह्मांड में भूलो और स्वर्ग लोक के जैसे ही पाताल लोक का भी अस्तित्व है क्या आप जानते हैं कहां हैं 

पाताल लोक और कैसा दिखता है हिंदू महा ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मांड में त���न लोग हैं 

जिसे त्रिभुवन कहा जाता है पृथ्वी के नीचे 7 लोग हैं और सबसे अंतिम लोक पाताल हैं हम इस प्रस्तुति के 

माध्यम से समस्त 7 लोगों का वर्णन विस्तारपूर्वक बताएंगे कृपया वीडियो को अंत तक देखें वह सनातन 

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संपूर्ण ब्रह्मांड में 14 लोग विद्यमान हैं जिनमें से 7 लोग पृथ्वी के ऊपर तथा साथ पृथ्वी के नीचे 

स्थित है इन 14 लोगों का ऊपर वाला चोर वैकुंठ व निकला चोर पाताल कहलाता है अगर हम पृथ्वी ��े विस्तार 

की बात करें तो पृथ्वी की ऊंचाई 70000 योजन है पृथ्वी के भीतर सातल हैं जिनमें से प्रत्येक की ऊंचाई 

10 10 हजार योजन की है उन सातों दलों के नाम अतल वितल सुतल तलाताल रसातल तथा पाताल है इनकी भूमि क्रमशः 

काली सफेद लाल पीली कंकर ईजी पथरीली तथा सुवर्ण में ही है तो तुम ही तल बड़े-बड़े महलों से सुशोभित 

हैं उनमें दानव और दैत्यों की सैकड़ों जातियां निवास करती हैं विशाल कहां है नागों के कुटुंब भी उनके 

भीतर रहते हैं एक समय पाताल से लौटे हुए देवर्षि नारद जी ने स्वर्ग लोक की सभा में कहा था कि पाताल लोक 

स्वर्ग लोक से भी रमणीय है वहां सुंदर प्रभा युक्त चमकीली मनिया हैं जो परम आनंद प्रदान करने वाली 

हैं वह नागों के अलंकार एवं आभूषणों के काम आती हैं भला पाताल की तुलना किससे हो सकती है वह सूर्य की 

किरणें दिन में केवल प्रकाश फैलाती हैं धूप नहीं इसी प्रकार चंद्रमा की किरणें रात में केवल उजाला 

करती हैं सर्दी नहीं फैला दी वह  

1 नदियां रमणीय सरोवर कमल बंद तथा अन्य मनोहर वस्तुएं हैं जो बड़ी सौभाग्य से भोगने को मिलती हैं पाताल 

निवासी दानव दैत्य तथा सर पर सदा ही उन सब का उपभोग करते हैं सब पाताल ओं के नीचे भगवान विष्णु का तमोगुण 

ही रूप है जिसे शेषनाग कहते हैं द्वितीय और दानव उनके गुणों का वर्णन करने में समर्थ नहीं है सिद्ध 

पुरुष उन्हें अनंत कहते हैं देवता और देवर्षि उनकी पूजा करते हैं 20 से शुरू मस्तकों से सुशोभित हैं 

स्वस्तिका कार निर्मल आभूषण उनकी शोभा बढ़ाते हैं वे अपने फलों की सेहत शिरोमणि यूसी संपूर्ण दिशाओं 

को प्रकाशित करते हैं तथा संसार का कल्याण करने के लिए संपूर्ण असुरों की शक्ति हर लेते हैं उनके कानों 

में एक ही कुंडल शोभा पाता है उनके एक हाथ का अग्रभाग हल पर टिका रहता है और दूसरे हाथ में भी उत्तम मुसल 

धारण किए हुए हैं प्रलय काल में भिक्षा अग्नि की ज्वाला उसे रूद्र उन्हीं के मुख्य से निकलकर तीनों 

लोगों का संघार करते हैं संपूर्ण देवताओं से पूजित व�� भगवान शेषनाग पाताल के मूल भाग में स्थित होकर 

अपने मस्तक पर समस्त भूमंडल यानी पृथ्वी को धारण किए रहते हैं उनके स्वरूप का वर्णन देवता भी नहीं 

कर सकते भगवान अनंत  

जब उबासी लेते हैं तो उस समय पर्वत समुद्र और वनों सहित यह सारी पृथ्वी बोलने लगती है प्राचीन ऋषि गर्ग 

ने जिन की आराधना करके संपूर्ण ज्योतिष शास्त्र का ��थार्थ ज्ञान प्राप्त किया था उन्हीं नागर श्रेष्ठ 

भगवान शेष ने इस पृथ्वी को धारण कर रखा है और वही देवता असुर तथा मनुष्यों के सहित समस्त लोगों का भरण 

पोषण करते हैं हम आशा करते हैं कि हमारी प्रस्तुति आपको पसंद आई होगी अपने विचार अभिव्यक्त करने के 

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